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हत्या के 21 साल बाद दोषियो को मिली आजीवन कारावास की सजा

तीन आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में अदालत ने किया बरी

गाजियाबाद। हापुड़ में 21 साल पहले महिला की गोली मारकर हत्या करने के दो दोषियों संजय और रविकांत को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत के न्यायाधीश पवन कुमार शर्मा ने दोनों पर 11-11 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। साक्ष्य के अभाव में तीन दोषियों तीन सगे भाईयों अनिल, सुनील और सुशील को बरी कर दिया।

जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा व जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता रवि शर्मा ने बताया 21 अक्टूबर 2002 को हापुड़ के संजय विहार के आवास विकास कालोनी निवासी नीति चौहान ने हापुड़ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

निधि ने पुलिस को बताया था कि उनकी मां कांति देवी निमाजपुर में पीसीओ बूथ चलाती थीं। वह रोज सुबह हापुड़ से निजामपुर लोकल ट्रेन से जाती थीं और शाम को वापस आ जाती थीं। 21 अक्टूबर को रात 8.30 बजे मां कांती देवी, बहन रश्मि चौहान व मामा वेदपाल निजामपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बैठे थे। वहां अनिल, सुनील और सुशील और संजीव प्लेटफार्म पर पहुंच गए। इन चारों से कांति देवी का भूमि विवाद अदालत में चल रहा था।

चारों ने कांति देवी पर भाइयों का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए गोली मार दी। इलाज के दौरान 24 अक्टूबर को सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। मौत के बाद पुलिस ने हत्या की धाराएं बढ़ा दी थीं। सुनवाई के दौरान तीनों सगे भाइयों अनिल, सुनील और सुशील के खिलाफ हत्या में शामिल होने का कोई साक्ष्य नहीं मिला। अदालत में सुनवाई के दौरान 10 गवाह और 20 साक्ष्य पेश किए गए।

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