सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री के संस्कृत विरोधी बयान की संस्कृत विद्वानों ने की निंदा, माफी मांगने की मांग

सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री के संस्कृत विरोधी बयान की संस्कृत विद्वानों ने की निंदा, माफी मांगने की मांग
, हापुड़।
लोकसभा में सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री द्वारा संस्कृत विरोधी बयान देने पर संस्कृत विद्वानों ने निंदा करते हुए माफी मांगने की मांग की हैं।
बाबूगढ़ के ततारपुर स्थित गुरुकुल महाविद्यालय में आयोजित एक सभा में लोकसभा में सांसद दया निधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा को शामिल करने का विरोध करने पर रोष जताया गया।
गुरुकुल के वरिष्ठ आचार्य डॉ. शिवकुमार आर्य ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की आत्मा है, संस्कृत भाषा के बिना भारत, भारत नहीं। लेकिन लोकसभा की कार्रवाई में सांसद दया निधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा को शामिल करने का विरोध किया। भारत की संस्कृत और संस्कृति का विरोध करने वाले लोगों को भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
आचार्य ज्ञान सिंह पवार ने भी दया निधि मारण का विरोध प्रकट करते हुए उनसे माफी मांगने की मांग उठाई।