लोगों में चेतना जगाने में कवियों का महत्वपूर्ण योगदान है – उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा, हापुड़ में आयोजित हुई विचार गोष्ठी
हापुड़। 35 देशों में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य भारती की हापुड़ इकाई द्वारा टेक्नोस्फर स्कूल ग्राम खडखड़ी में कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर वागीश दिनकर ने की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली से आए हिन्दी साहित्य अकादमी के उप सचिव ऋषि कुमार शर्मा रहे! कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ कवि तरुण त्यागी और संचालन जिलाध्यक्ष दिनेश त्यागी द्वारा किया गया।
सरस्वती वंदना वरिष्ठ कवि विजय वत्स द्वारा पढ़ी गई! कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि प्रोफेसर वागीश दिनकर ने पढ़ा
एक बार राष्ट्र चेतना को पुनर्जाग्रत कर, भारत के शेरों को मुगलों से भिड़ने दो! एक बार भाले की अनी को फिर चमकाकर, भादों की घटा में सिंह सूरज उमगने दो!
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हिन्दी साहित्य अकादमी के उप सचिव ऋषि कुमार शर्मा ने कहा कि ऐसी श्रेष्ठ गोष्ठियों को अधिक से अधिक संख्या मे युवा शक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ कवि व जिलाध्यक्ष दिनेश त्यागी ने पढ़ा
दुनिया में सबसे जुदा इस रिश्ते की शान! कहने वाले मां कहें, मैं कहता भगवान
हिन्दी साहित्य भारती की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य वरिष्ठ कवि ड़ा. सतीश वर्धन ने पढ़ा
माँ भी महान है, पिता भी महान है! चरणों मे दोनों के,सारा जहान है!
वरिष्ठ कवि विजय वत्स ने पढ़ा
मेरे देश की माटी चंदन सम! जितने गुण गायें उतने ही कम!! हिन्दी साहित्य भारती की हापुड़ इकाई के संगठन महा मंत्री वरिष्ठ कवि ओमपाल सिंह विकट ने पढ़ा _राम यदि बन जाता हूँ तो बचता मन में गरल नहीं! रावण बनना बहुत सरल है राम सा बनना सरल नहीं
वरिष्ठ कवि राजकुमार हिन्दुस्तानी ने पढ़ा
घर में आग लगा दी, घर के शोलों ने! घर की साख मिटा दी, कुछ बड़बोलो ने
वरिष्ठ कवि पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ा _मन का मिलन अधूरा ना हो, तन का मिलन तो मात्र वासना
युवा कवि विकास विजय त्यागी ने पढ़ा
गुलामी आज तक हमने भोगी नहीं होती, अगर इस देश के कुछ लोग गद्दारी नहीं करते
कवि तरुण त्यागी ने पढ़ा बुनियाद में हमारे नाम का पत्थर लगाकर, दुनिया मे अपने बाप का बड़ा नाम दिलाना
वरिष्ठ कवि गंगा शरण शर्मा ने पढ़ा नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चों तुमसे है आशा भारी! महकोगे बन फुलवारी!
!मोदी नगर से आए वरिष्ठ कवि अशोक प्रयासी ने पढ़ा
ज्ञान गुदडिया मे कर्म के धागे हों! अकर्मण्यता और निर्धनता भागे आगे आगे हों।
इस अवसर पर सुरेश त्यागी, महेश त्यागी, बबलू त्यागी प्रधान , वीरेंद्र त्यागी, धर्मवीर त्यागी, निर्दोष त्यागी, अवश्य त्यागी, गौरव त्यागी आदि उपस्थित रहे!