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रक्षाबंधन के संबंध में कोई भ्रम नही है 30 अगस्त को है -भारतीय ज्योतिष-कर्मकांड महासभा परामर्श बोर्ड

हापुड़। भारतीय ज्योतिष-कर्मकांड महासभा परामर्श बोर्ड व कार्यकारिणी की बैठक प्रधान कार्यालय पर हुई जिसमें रक्षाबंधन पर्व के बारे में समाज मे फैलाये जा रहे भ्रम पर चर्चा हुई ,महासभा विद्वानों ने विस्तृत शास्त्रोचित विचार-विमर्श व ग्रंथों की विवेचना करते हुए पुनः निर्णय दिया कि 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार को रक्षाबंधन पर्व है, धर्म सिंधु के अनुसार अपराह्न या प्रदोष व्यापिनी श्रावण शुक्ल रक्षाबंधन मनानी चाहिए जो भद्रा व्याप्त नही होनी चाहिए। पंचांग के अनुसार 30 अगस्त को प्रातः 10:58 से पूर्णिमा आ जाएगी लेकिन 10:58 बजे से रात्रि 09.03 तक पृथ्वी लोक की अशुभ भद्रा रहेगी जो रक्षा सूत्र बांधने के लिए उचित नहीं है।यथा-
भद्रायां द्वे न कर्तव्यम् श्रावणी फाल्गुनी वा। श्रावणी नृपतिं हन्ति,ग्रामों दहति फाल्गुनी।
अर्थात भद्रा काल में ये त्यौहार नहीं मनाने चाहिए ।श्रावणी – रक्षाबंधन । फाल्गुनी – होली।
भद्रा काल में रक्षाबंधन मनेगा तो राजा (वर्तमान समय में घर के मुखिया भी) के लिए कष्टकारी है ।और होलीकादहन के समय भद्रा रहेगी तो प्रजा ,ग्राम आदि के लिए हानिकारक होती है ऐसा कहा जाता है कि रावण की बहन सूपर्णखा ने भद्रा में भाई रावण।को राखी बांध दी थी जिससे उसका सर्वनाश हो गया।
धर्मग्रंथों में दिन में अशुभ भद्रा होने की स्थिति में रात्रि में रक्षासूत्र बांधने को उचित कहा गया है यथा-
तत्सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यादिति निर्णयामृते ।
भद्रां बिना चेदपराव्हे तदा परा।तत्सत्वे तु रात्रिवपीत्यर्थः।।
(निर्णय सिंधु) इंद्राणी ने शुभ मुहूर्त में अभिमंत्रित रक्षासूत्र इंद्र को बांधा तो वो देवासुर संग्राम में विजयी हुए, पुराणों में द्रोपदी द्वारा भगवान श्रीकृष्ण को एवं शुक्राचार्य द्वारा राजा बलि को भी राखी बांधने का उल्लेख मिलता है अतः भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 9 बजकर 03 मिनट से लेकर 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 05 मिनट तक सुकर्मा योग में रक्षासूत्र बांधना सर्वोत्तम है।
( ये समय हापुड़ व दिल्ली NCR के समय के अनुसार है भारत के अन्य भागों में स्थानीय सूर्योदय व सूर्यास्त से समय मे कुछ अंतर हो सकता है )
साथ ही प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा(पड़वा) में रक्षासूत्र बांधना भी धर्मग्रंथों में स्पष्ट निषेध कहा है यथा-
इदं प्रतिपदुतायां न कार्यम्। नंदाया दर्शने रक्षा बलिदानं दशासु च।भद्रायां गोकुलक्रीड़ा देशनाशय जायते ।। (ब्रह्मवैवर्त पुराण)
महासभा अध्यक्ष पंडित के०सी०पाण्डेय (काशी वाले) ने बताया कि श्रावणी पूजन के।लिए भद्रा में पूजन के लिए धर्मग्रंथो में कोई निषेध नही है अतः सुबह 11 बजे से 12.15 शुभ की चौघड़िया मध्यान्ह 11.51 से 12.42 अभिजित मुहूर्त व सायं 5.07 से 6.43 है साथ ही राखी बांधने के लिए रात्रि 9.03 से 12.19 व 31 अगस्त को सुबह 5.53 से 7.05 तक अत्यंत शुभ मुहूर्त है, सही शुभ समय में रक्षासूत्र बांधकर जीवन मे स्वास्थ्य ,सुख व समाज मे समृद्धि प्राप्त करे जो महासभा पत्रिका में भी दिया हुआ है उन्होंने बताया कि पूर्व के त्योहारों मकर संक्रांति, होली , सावन शिवरात्रि आदि के बारे में महासभा के सही निर्णय दिये गए जिससे जनसमाज ने को लाभ मिला।
राखी बांधने का मंत्र:
येन बद्धो बलि राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेनत्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।
उपरोक्त शुभ मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांधकर उनके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि की कामना करें तो निश्चित ही कल्याण होगा
यह श्रावणी पर्व हैअतः ब्राह्मण संत गुरु आचार्य के द्वारा मंत्र अभिमंत्रित रक्षासूत्र बांधने का विशेष महत्व है जिसमें विशिष्ट मत्रों से अभिमंत्रित रक्षासूत्र एवं 10 विधि दिव्य स्नान का विधान है अतः रक्षासूत्र बंधवाकर आशीर्वाद लेते हुए शुभ फल प्राप्त करें।
निर्णय में डॉ वासुदेव शर्मा, आचार्य कमलेश गिल्डीयाल,आचार्य गौरव कौशिक, पण्डित आदित्य भारद्वाज,परामर्श मंडल पण्डित संतोष तिवारी,पण्डित पुरुषोत दहाल, श्रीमती अनिशा पाण्डेय, कोषाध्यक्ष मित्र प्रसाद काफ़्ले, पण्डित ब्रजेश कौशिक,प्रवक्ता पण्डित अजय शर्मा, पण्डित जगदंबा शर्मा आचार्य देवी प्रसाद तिवारी पंडित सर्वेश तिवारी,पण्डित ओम प्रकाश पोखरियाल, एस्ट्रो धर्मेंद्र बंसल, पण्डित दुर्गेश शास्त्री,पण्डित अजय पाण्डेय,पंकज जी, अजय त्रिपाठी आदि विद्वान शामिल रहे।
पण्डित के०सी०पाण्डेय
अध्यक्ष
भारतीय ज्योतिष-कर्मकांड महासभा(रजि०)

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