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यज्ञ की अग्नि देवताओं का मुख है-आचार्य संजय याज्ञनिक



हापुड़ । आर्य समाज मंदिर हापुड़ में 3 मार्च से प्रारंभ हुई ऋषि दयानंद द्वितीय जन्म शताब्दी एवं बोधोत्सव के पांचवें दिन मेरठ से पधारे आचार्य संजय याज्ञिक  ने राम के चरित्र के बारे में गूढ़ विषय पर प्रवचन दिया उन्होंने कहा कि राम का अर्थ विश्राम तथा सुखद होना होता है उन्होंने कहा कि एक भी तो राम जैसा काम तुम करते नहीं बोलो भला राम भक्ति तुम कैसे कहलाओगे । मुंबई से पधारे प्रसिद्ध गीतकार अभिषेक शास्त्री जी ने अपने सुमधुर भजन अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में , मत कर अभिमान ओ बंदे झूठी तेरी शान रे , भक्ति में मन पर हित में तन जब तेरा हो जाएगा तब तुझे खुद ही के भीतर परमात्मा मिल जाएगा , जब प्यार हुआ परमेश्वर से धन-धान्य खजाना भूल गए आदि अनेकों सुमधुर भजनों के द्वारा श्रोताओं को गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया । इस अवसर पर आर्य समाज हापुड़ के सभी पदाधिकारी एवं शहर के अनेकों गण मान्य लोग मौजूद रहे ।

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