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मोनाड विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित

*महिलाओं के समावेशन से उन्नति के विभिन्न दृष्टिकोण और प्रतिभाएँ सामने आती हैं – प्रो. (डॉ.) वंदना वशिष्ठ*

मोनाड विश्वविद्यालय में महिला शिकायत प्रकोष्ठ एवं मानविकी और सामाजिक विज्ञान संकाय के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के परिप्रेक्ष्य में महत्वाकांक्षी अभियान *‘फोर ऑल वूमेन एंड गर्ल्सः राइट्स, इक्विलिटी, एम्पावरमेंट’* सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए : अधिकार, समानता एवं सशक्तिकरण थीम पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसके अनुक्रम में आज शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में एसएसवी डिग्री कॉलेज, हापुड की प्रो. (डॉ.) वंदना वशिष्ठ एवं महिला थाना, हापुड की एसएचओ अरुणा राय उपस्थित हुईं। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलाधिपति डॉ. एनके सिंह, कुलपति डॉ. मोहम्मद जावेद, कुलसचिव कर्नल प्रो. (डॉ.) डीपी सिंह, उपकुलपति (प्रशासनिक) प्रो. योगेश पाल सिंह, उपकुलपति (अकादमिक) डॉ. जयदीप कुमार, उपकुलपति (एडमिशन) रोहित शर्मा एवं मुख्य अतिथियों ने मां सरस्वती के छायाचित्र पर पुष्पांजलि एवं दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि एसएसवी डिग्री कॉलेज, हापुड की प्रो. (डॉ.) वंदना वशिष्ठ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामना संदेश देते हुए कहा कि दुनिया की आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 50% है। महिलाओं को रोजगार के लिए समान अवसर प्रदान करने से महिला श्रम बल भागीदारी दर को बढ़ावा मिलेगा। महिलाओं के समावेशन से विभिन्न दृष्टिकोण और प्रतिभाएँ सामने आती हैं, जो अधिक नवाचार और बेहतर समाधानों को जन्म देती हैं। साथ ही मुख्य अतिथि महिला थाना, हापुड की एसएचओ अरुणा राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नेतृत्व पदों पर लिंग समावेशन यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय प्रक्रियाओं में महिलाओं के दृष्टिकोण और आवश्यकताएं शामिल हों, जिससे सामाजिक अन्याय, आर्थिक असमानता जैसी चुनौतियों के समाधान में नवाचार संभव है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि बेटियां राष्ट्र की शान हैं। समाज में बेटा-बेटी समान हैं। उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने और करियर बनाने का समान अधिकार है। वहीं महिला शिकायत प्रकोष्ठ एवं मानविकी और सामाजिक विज्ञान की संकायाध्यक्ष डॉ. सोमा दास ने कहा कि राष्ट्र के विकास में महिलाओं का महत्त्व और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में महिला दिवस मनाया जाना जरूरी है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी राक्षसी सोच को मारना जरुरी है। वहीं विधि विभाग व अंग्रेजी विभाग की शिक्षिकाओं डॉ. मनीषा शर्मा और डॉ. कविता शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इन चलने वाले साप्ताहिक कार्यक्रमों में छात्राओं एवं महिला शिक्षकों ने नुक्कड़ नाटक, रचनात्मक स्पर्धाओं, योगा सत्र, इंडोर गेम्स एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा बाह्य संस्थानों में प्रतिभाग करने वाले समस्त विजयी छात्राओं को एवं पेपर प्रस्तुत करने वाली महिला शिक्षकों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में मंच का सफल संचालन डॉ. दीपिका चौहान और नेहा रानी ने किया। कार्यक्रम का समापन डॉ. रितु चिक्कारा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम की सफलता में कार्यक्रम संचालक निशू शर्मा का विशेष योगदान रहा।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों डॉ. गरिमा गुप्ता, डॉ. नेहा शर्मा, डॉ. रिचा यादव, मीडिया प्रभारी विपुल चौधरी, प्रीति तोमर एवं डॉ. गणेश शंकर आदि के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थी भी मौजूद रहे।

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