बसंत पंचमी पर आयोजित हुआ ऑन लाइन कवि सम्मेलन
हापुड़। बसंत पंचमी के पावन पर्व पर हिंदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में यहां एक ऑन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
अध्यक्षता प्रख्यात कवि एवं साहित्यकार प्रेम निर्मल ने की तथा संचालन सुप्रसिद्ध कवि डा. अनिल बाजपेई ने किया।वरिष्ठ साहित्यकार कवि प्रेम ‘निर्मल’ ने पढ़ा ,”महँगाई डायन हुई,
बेकारी विकराल।
चिंता किसको देश की,वरिष्ठ कवि राम आसरे गोयल ने पढ़ा, “एक अजब ताना बाना,
संघर्ष भरा है ये जीवन।
यादों मे खो जाने को,
जीवन मे भी हों दो क्षण”
जीना हुआ मुहाल”संचालन करते हुए कवि डा. अनिल बाजपेई ने पढ़ा,” वागीशा के हाथ से, ज्यों ही बजा सितार!
सबको यूं लगने लगा,बसंत खड़ा है द्वार!! गीतकार महावीर वर्मा मधुर ने पढ़ा,”यहां देखो वहां देखो ,छाई बसंत है।
हरी टोपी,लाल टोपी, भगवा में भिड़ंत है।
वोटों की भिक्षा हेतु, दर-दर भटक रहे,
अब तो सखी हर घर,
बसत यह बसंत है”
डा पुष्पा गर्ग ने पढ़ा,”स्वाभिमान जगाना है,
देश को बचाना है।
भूल जाओ जाति पांति,
शिव प्रकाश शर्मा ने पढ़ा,”बसंत के मौसम में
मन बसंती हो जाएं
बसंती मन की छटाएं
बसंती हो जाएं
बाहें गलबहियां को
उठने लग जाएं”
सबको ये समझाना है”
डा आराधना बाजपेई ने पढ़ा,”सुबह शुभ्र ज्योत्स्ना सी हो, शाम सुहानी मधुरिम हो, दस्तक देती रहें बहारें,जीवन हर पल स्वर्णिम हो,
डा .पूनम ग्रोवर ने पढ़ा,”मौसम का बदल जाना ही नहीं है वसंत।
सरसों के फूलों की नदी सी उमंगे हैं अनंत।
रंगी गुलाब बाहों में यूं भर ले आता वसंत”डा. नरेश सागर ने पढ़ा,
“आया बसंत लेकर ,देखो बहारें कितनी
उडती है खुब खुशबू, उड़तीं हैं कितनी तितली
सरसों से मानों जैसे,सोना बरस रहा हो!”
शहवार नावेद ने पढ़ा”आया बसंतu ! आया बसंत!
कुछ पुष्प सरसों के खिले ,
नव स्वप्न फिर सजने लगे ,”
डा.निशा रावत ने भी अपनी रचना से सभी को मंत्रमुग्ध किया
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