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पिलखुवा में बनी थ्रीडी चादरों की देशभर में डिमांड

पिलखुवा। एक समय था, जब थ्रीडी चादर निर्माण में चीन किंगमेकर साबित हो रहा था। उसकी चादर सस्ती होने के कारण देशवासी खूब इस्तेमाल किया करते थे, लेकिन चादर कारोबार के लिए विश्व विख्यात पिलखुवा नगरी ने अब चीन की चादर के कारोबार को चुनौती दे दी है।

यहां टेक्सटाइल सेंटर में थ्रीडी चादर निर्मित करने वाला एक कारखाना स्थापित है। जहां हुनरमंद कारीगरों की सोच के चलते अब देश भर में यहां निर्मित थ्रीडी चादर की धूम है। यहां बनने वाली चादर चीन निर्मित चादर के मुकाबले सस्ती और टिकाऊ है। चीन की डबल बेड की चादर मार्केट में 140 रुपये की है, जबकि उससे बेहतर गुणवत्ता और नई डिजाइन के साथ स्वदेशी थ्रीडी चार 100 से 120 रुपये की है।

बेडशीट और तिरपाल कारोबार के लिए पिलखुवा नगर विश्वविख्यात है। भारत की हथकरघा और छापे हुए कपड़ों की सबसे बड़ी मंडियों में से एक है। यहां खास तौर से कपड़े की बुनाई, छपाई, रंगाई, धुलाई, सिलाई आदि का कारोबार होता है। ज्यादातर आबादी इसी कारोबार से जुड़ी है। यहां की हैंड ब्लाक प्रिंट की चादरें एक्सपोर्ट की जाती हैं।

चीन का 50 तो अब स्वदेशी 125 करोड़ का व्यापार

पावरलूम वस्त्र उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुलदीप अग्रवाल ने बताया कि चीन की चादर की जिस समय धूम थी, तब व्यापार लगभग 50 करोड़ का था। इस समय पिलखुवा में 3 फैक्ट्रियां संचालित हैं, जिनसे सालाना लगभग 125 करोड़ का व्यापार हो रहा है। तीनों फैक्ट्रियों में लगभग 180 कर्मचारी कार्य करते हैं। देश में थ्रीडी चादर की पहली फैक्ट्री भी यहीं लगी थी। इसके बाद दूसरी हरियाणा में। चादर बनने की प्रक्रिया को देखने प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी आ चुकी हैं।

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