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चढ़े बलिवेदियों पर देश की शान की खातिर,बढ़ गए कदम तो कदमों को रुकने दिया नही,खाते रहे गोलियां सीने पर ,मगर तिरंगे को झुकने दिया नहीं – अनिल वाजपेयी

हापुड़। स्वाधीनता संग्राम शहीद स्मारक समिति (पंजी.) हापुड़ के तत्वावधान में अमर शहीदों के नाम एक विराट कवि सम्मेलन का आयोजन रामलीला मैदान में किया गया।
दूर दराज से आए कवि एवं कवियत्रियों ने अपनी रचनाओं से उपस्थित जनसमूह को मंत्र मुग्ध कर दिया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता ललित कुमार अग्रवाल (छावनी वाले ) ने की।कवि सम्मेलन का संचालन डा अनिल बाजपेई ने किया।
समिति के अध्यक्ष ललित कुमार अग्रवाल (छावनी वाले) ने कहा कि कवि साहित्यकार समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं। सामाजिक विसंगतियों एवं बुराइयों पर प्रहार करके सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हैं। समाज का मार्ग दर्शन करते हैं।महामंत्री एडवोकेट मुकुल त्यागी ने कहा, हमारे समाज में कवि साहित्यकारों का आदिकाल से ही एक विशिष्ट स्थान रहा है।
सामाजिक संस्कृति के हो रहे अवमूल्यन को देखते हुए संस्कृति को बचाने के लिए कवियों का दायित्व और ज्यादा बढ़ जाता है।विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष रवींद्र गुप्ता ने कहा कवि सम्मेलन हमारी संस्कृति के लिए अभिन्न हैं।सांस्कृतिक आयोजनों के मुख्य केंद्र बिंदु हैं।कवि मार्ग दर्शक होते हैं।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ मेरठ की कवियित्री डा.शुभम त्यागी ने मां शारदे की वंदना से किया ।
मंच का संचालन करते हुए डा अनिल बाजपेई ने पढ़ा, किया बलिदान जिन्होंने देश की आन की खातिर,चढ़े बलिवेदियों पर देश की शान की खातिर,बढ़ गए कदम तो कदमों को रुकने दिया नही,खाते रहे गोलियां सीने पर ,मगर तिरंगे को झुकने दिया नहीं,है शत शत नमन उन्हें कह रही मां भारती,आओ नित मिलकर उतारें शहीदों की आरती। प्रख्यात कवि एवं गीतकार सत्यपाल सत्यम ने पढ़ा,नफरतों के बीच में ये भावना खो जाए ना,प्रेम का संदेश वाहक कहीं खो जाए ना,तुम हृदय के द्वार,खटकाते थपक देते रहो,पास में बैठो मुहब्बत की महक देते रहो। मेरठ से पधारी कवयित्री डा. शुभम त्यागी ने पढ़ा, तुमसे मिलने को आतुर दिखीं चूड़ियां।
लाल,पीली,हरी,सतरंगी चूड़ियां।
लाज गढ़ती रही,तुम भी’ आए नहीं,
रातभर ये खनकती रही चूड़ियां।।
हरिद्वार से पधारी कवयित्री पूजा अरोरा ने पढ़ा, हम आंसुओं की मुसलसल रवानी लिक्खेंगे ,
अधूरे इश्क़ की पूरी कहानी लिख्खेंगे ,
तुम अपने दिल में हमें रख्खो या नहीं रख्खो ,
सनम तुम्हीं को ही हम ज़िंदगानी लिख्खेंगे।।
स्वदेश यादव ने पढ़ा, भले ही रंग मस्ती का घुला हर बात में होगा,
जवानी की खुमारी का नशा भी साथ में होगा।
मगर जब बात होगी देशहित कुछ कर दिखाने की,
कफ़न सर पर वतन दिल में तिरंगा हाथ में होगा।।
दिल्ली से पधारे राष्ट्रीय कवि संदीप शजर ने कहा,
मन मुआ फ़क़ीर हो गया
और पराई पीर हो गया
भाव जब कबीर हो गए
शब्द- शब्द तीर हो गया
राष्ट्रीय कवि वैभव शर्मा ने पढ़ा,
सावरकर रत्नों का रत्न, न रत्नों का मोहताज है
भारत रत्न है ही क्या, वो तो हिन्द का सरताज है। कवि विकास विजय सिंह त्यागी ने पढ़ा,ये दर्द में इतना बिखर चुकी है वो,की छोड़कर भी तुझे अब जय नहीं जाता,उम्र के आखिरी पड़ाव में कह रहा है बेटा,मान मुझसे ये रिश्ता निभाया नही जाता,हाथरस से आए कवि सबरस मुरसानी ने पढ़ा,बर्र सी तू,ततैया सी तू ,मरखनी एक गैया सी तू,लेकिन मजबूरी में कहता सोन चिरैया तू, आई लव यू।
स्वाधीनता संग्राम शहीद स्मारक समिति के प्रधान
ललित कुमार छावनी वाले, महामंत्री मुकुल त्यागी ( एडवोकेट),,चेतन प्रकाश अग्रवाल,सचिन अग्रवाल एल आई सी ,योगेंद्र मुन्नू,अतुल अग्रवाल,रविंद्र गुप्ता,(विश्व हिंदू परिषद)अमित शर्मा,( टोनी) प्रणव वर्मा विनय मित्तल,सुधीर जैन,गुलशन त्यागी,सुमन त्यागी,राहुल त्यागी,ज्ञानेंद्र त्यागी ने सभी कवियों को स्मृति चिन्ह भेंटकर पटका पहनाकर सम्मानित किया।
राकेश वर्मा,मनीष मित्तल,कपिल अग्रवाल,अतुल सोनी,तरुण गुप्ता,उमेश अग्रवाल, हरिप्रकाश जिंदल,महेश कंसल का सहयोग सराहनीय रहा।

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