गेहूं, जौ और राई से युवतियों में हो रही खून की कमी, बहुत कम आ रहा हीमोग्लोबिन
हापुड़। जिले में 10 से 20 साल की युवतियां सीलिएक बीमारी की चपेट में हैं। जांच में पाया गया है कि गेहूं, जौ, जेई, राई में पाए जाने वाले ग्लूटेन प्रोटीन के कारण ही इनके शरीर में आयरन की कमी होने से हीमोग्लोबिन का स्तर गिर रहा है। आठ बालिका और दो बुजुर्ग महिलाएं इस बीमारी से लड़ रही हैं। आयरन की गोली और सीरप भी कारगर नहीं हो रही हैं, हालांकि इन चार अनाजों के उत्पादों का सेवन छोड़ने के तीन महीने में ही हीमोग्लोबिन बढ़ जाने का दावा चिकित्सक कर रहे हैं।
गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. हरिओम सिंह ने बताया कि उनकी ओपीडी में पिछले सात साल में ऐसे 100 से भी अधिक केस आए हैं। 20 साल की उम्र में भी सीलिएक बीमारी से पीडि़त युवतियां देखने में आठ वर्ष जैसी लगती हैं। ऐसी मरीजों को स्वस्थ करने के लिए पहले उन्हें आयरन की गोलियां और सीरप दिया गया, लेकिन हीमोग्लोबिन नहीं बढ़ा।
रिसर्च में पता चला कि गेहूं, जौ, जेई, राई में पाए जाने वाले ग्लूटेन नामक प्रोटीन को उनकी छोटी आंत शोषित ही नहीं कर पा रही है। जिसके चलते शरीर में आयरन नहीं पहुंच पाता। मरीजों की एंड्रोस्कॉपी और एक अन्य आवश्यक जांच की गई, जिसमें सीलिएक बीमारी की पुष्टि हुई। इनको गेहूं, जौ, जेई, राई से बनी रोटी व अन्य उत्पाद छोड़ने की सलाह दी गई, इन अनाजों को छोड़ते ही शारीरिक विकास तो बढ़ा ही हीमोग्लोबिन भी तेजी से बढ़ा। (संवाद)
सिलीयक स्प्रू के ये हैं लक्षण
- बार बार शौच का आना।
- उम्र के हिसाब से शारीरिक विकास नहीं होना।
- हीमोग्लोबिन का स्तर 4 से 6 तक बने रहना।
- पेट दर्द, उल्टियां, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन।
- शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास नहीं होना।
मरीज न करें चार अनाजों का सेवन
गैस्ट्रोलॉजिस्ट डॉ. हरिओम सिंह के अनुसार ऐसे मरीज जब भी गेहूं, जौ, राई, जेई के उत्पादों का सेवन करेंगे, उन्हें समस्या होगी। महज परहेज कर इस बीमारी से आसानी से निजात पाई जा सकती है। अनाज के तौर पर चावल, चना, मक्का, बाजरा, दाल का सेवन कर सकते हैं।
इन बीमारियों का भी खतरा
सीलिएक से पीडि़त मरीजों को मधुमेह, त्वचा पर सफेद दाग, थाइराइड, जोड़ों का दर्द, गठिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है। ज्यादातर केसों में 10 से 20 साल तक की युवतियां और 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों में यह बीमारी देखी जा रही है।
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