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क्लबफुट बीमारी से ग्रसित 32 बच्चों को मिली नई जिंदगी बच्चे


-एक साल में जनपद में जन्मजात बीमारी क्लबफुट से ग्रसित मिले 44 बच्चे
-32 बच्चे उपचार के बाद हुए स्वस्थ, 12 बच्चों का उपचार चल रहा
-आरबीएसके की टीम ने बच्चों को चिन्हित करने के बाद जिला अस्पताल से इलाज कराया था शुरू
-जन्मजात बीमारी है क्लबफुट, बीमारी से ग्रसित बच्चों के एक या दोनों पैर जन्म से होते हैं टेड़े


हापुड़। जनपद हापुड़ में जन्मजात बीमारी क्लबफुट से ग्रसित 32 बच्चों को उपचार के बाद नई जिंदगी मिली है। एक साल में जिले में क्लबफुट से ग्रसित 44 बच्चे मिले हैं। 12 बच्चों का उपचार जिला अस्पताल हापुड़ से चल रहा है। बच्चों को आरबीएसके की टीम ने चिन्हित किया था। क्लबफुट बीमारी से ग्रसित बच्चों के एक या दोनों पैर जन्म से टेड़े होते हैं।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत क्लबफुट जैसी 42 जन्मजात विकृतियों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है। जन्मजात दोष जन्म के समय मौजूद संरचनात्मक परिवर्तन हैं, जो हृदय, मस्तिष्क, पैर जैसे शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। वह शरीर के दिखने वाले अंग, काम करने के तरीके या दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। जिला हापुड़ में एक अप्रैल 2023 से अब तक 44 बच्चे क्लबफुट बीमारी से ग्रसित मिले हैं। बच्चों को चिंहित करने के बाद इनका जिला अस्पताल हापुड़ में उपचार शुरू हुआ। उपचार के बाद 32 बच्चे बिलकुल स्वस्थ हो गए हैं। जबकि 12 बच्चों का उपचार वर्तमान में चल रहा है। जल्द ये भी स्वस्थ हो जाएंगे।

-क्लबफुट बीमारी का समय पर उपचार कराएं
हापुड़। डीईआईसी डा. मयंक कुमार और अनुष्का फाउंडेशन से मोहम्मद मोविस ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्लबफुट बीमारी से पीड़ित बच्चों का उपचार हो रहा है। क्लबफुट का यदि सही समय पर उपचार नहीं कराया गया तो बच्चा जीवन भर के लिए दिव्यांग हो सकता है।

-क्लबफुट जन्मजात बीमारी:सीएमओ
क्लबफुट एक जन्मजात बीमारी है। समय से उपचार शुरू कराने पर यह पूर्णतह ठीक हो जाती है। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के एक या दोनों पैर जन्म से टेड़े होते हैं। यह बीमारी न तो कोई कलंक है और न ही माता या पिता में कोई कमी होने के कारण होती है। आरबीएसके टीम द्वारा ऐसे बच्चों को चिहिंत कर उपचार कराया जाता है।
-डॉ सुनील त्यागी, सीएमओ हापुड़

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