क्राइम फाइल : सैकड़ों लोगों के सामने लाइव एनकाउंटर में पांच साथियों संग मारा गया था प्रमोद
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पुलिस को फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मंगानी पड़ी थीं। मुहल्ले में जितनी भी ऊंची जगहें थीं, पुलिस सब पर चढ़ गई। इसके बाद प्रमोद पासी गिरोह का खात्मा हुआ। अब तक के सबसे बड़े एनकाउंटर में प्रमोद पासी समेत छह लोग मारे गए थे। उस एनकाउंटर में ढाई हजार राउंड से ज्यादा गोलियां चलीं थीं तो सामने से एक हजार से अधिक बम। एनकाउंटर सैकड़ों लोगों के सामने दिनदहाड़े हुआ था। आज भी उस घटना को याद लोगों की रूह कांप उठती हैं।
ममफोर्डगंज पसियाना मुहल्ले का रहने वाला प्रमोद बचपन से ही दबंग प्रवृत्ति का था। 1989 में पुलिस ने उसके बहनोई बद्री पासी का एक बदमाश के धोखे में एनकाउंटर कर दिया था। इसी के बाद वह जरायम की दुनिया में उतर गया। बम बनाना तो उसके बाएं हाथ का खेल था। झोले में बम रखकर वह साइकिल से चलता था। धीरे-धीरे छोटे बड़े बदमाश उससे जुड़ते गए और जल्द ही वह सबसे बड़े बमबाजों में शुमार हो गया। बमबाज तो बहुत थे लेकिन दौड़ते हुए बम बांध लेने का वह एक्सपर्ट माना जाता था।
1991 का मार्च महीना था। शराब की दुकानों के लिए ठेके हो रहे थे। प्रमोद झोले में बम लेकर आबकारी के गेट पर पहुंचा और एक ठेकेदार को चिट्ठी दी। महज दो लाइन का मजमून कुछ इस तरह था ‘मौत का दूसरा नाम प्रमोद पासी है। ठेका लेने से पहले वह पचास हजार रुपये दे दे’। उस जमाने में पचास हजार बहुत बड़ी रकम थी। ठेकेदार कांप गया। वह सीधा ममफोर्डगंज चौकी इंचार्ज वीएन सिंह के पास पहुंचा। अधिकारियों से बताया। तत्कालीन एसएसपी ने कहा ‘मुझे प्रमोद जिंदा या मुर्दा चाहिए’। पुलिस ने ममफोर्डगंज मुहल्ले में मुखबिरों का जाल बिछाया। 30 मार्च को पता चला वह मुहल्ले में बैठा है।
तीन थानों की फोर्स ने धावा बोल दिया। वहां अफरातफरी मच गई। प्रमोद और उसके साथियों ने मोहल्ले वालों के घरों में शरण ली। एक तरफ से गोलियां, दूसरी ओर से बम। एनकाउंटर में दो बदमाश मारे गए। पुलिस ने अफवाह उड़ा दी कि प्रमोद मारा गया लेकिन कुछ ही घंटों में पता चल गया कि मरने वाले उसके गुर्गे थे। वह भाग निकला है। इस घटना के बाद पुलिस की खूब भद पिटी। इस बार उसके एनकाउंटर के लिए ऊपर से भी हुक्म आ गया। पुलिस को चार दिन बाद फिर मौका मिल गया। चार अप्रैल को सूचना मिली कि प्रमोद अपने घर पर है। इस बार पुलिस ने कोई रिस्क नहीं लिया। इलाहाबाद जिले से करीब 25 थानों की फोर्स को यहां बुला लिया गया। पूरे ममफोर्डगंज की घेरेबंदी कर दी गई। उस समय दोपहर के पौने तीन बज रहे थे। इतनी पुलिस देखकर मुहल्ले वाले समझ गए कि कुछ अनहोनी होने वाली है।
पुलिस घेरेबंदी कर रही थी कि प्रमोद और उसके साथियों ने बमों से हमला कर दिया। ताबड़तोड़ बम चलते देख पुलिस बैकफुट पर आ गई। पुलिस को पीछे हटता देख बदमाश मोहल्ले में कई घरों में फैल गए। गोलियों की तड़ताड़हट से मुहल्ला गूंजने लगा। पुलिस की तरफ से गोलियां चलें तो बदमाशों की ओर से बम। लग रहा था कि बम चलाने वाले भी दर्जनों हैं।
मोहल्ले के लोग ऊपर वाले का नाम लेकर कमरों में दुबक गए थे। पुलिस ने भी सबको अंदर रहने की हिदायत भी दी थी। एनकाउंटर की खबर फैलते ही ममफोर्डगंज के आसपास शहर के हजारों लोग जमा हो गए। गोली और बमों की आवाजों से दिल दहल रहे थे। सभी जानने को उत्सुक थे कि आखिर हुआ क्या। जब पुलिस की गोलियां प्रमोद और उसके साथियों का कुछ बिगाड़ नहीं पाईं तो फायर ब्रिगेड से सीढ़ियां मंगाई गईं। मुहल्ले में जितनी ऊंची बिल्डिंगें थीं, सभी पर पुलिस चढ़ गई और फायरिंग शुरू की। एक के बाद एक छह लाशें गिरीं। शाम को छह बजे जब प्रमोद मारा गया तो पुलिस ने राहत की सांस ली। एनकाउंटर को देखने के लिए कभी शायद ही इतनी भीड़ जुटी हो।
एनकाउंटर में मारे गए बदमाश
1-प्रमोद पासी-पुराना ममफोर्डगंज पसियाना
2-दस्सू-फतेहपुर बिछवा
3-रूपचंद्र-गल्ला बाजार
4-लालबाबू-नया पुरवा
5-रजऊ-नैनी
6-मोहनलाल-सोरांव
पुलिस अधिकारी
एसएसपी : आरएल भाटिया
एसपी सिटी : बीपी सिंह
इंस्पेक्टर : आरडी पाठक
चौकी इंचार्ज : वीएन सिंह
पुलिस को फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मंगानी पड़ी थीं। मुहल्ले में जितनी भी ऊंची जगहें थीं, पुलिस सब पर चढ़ गई। इसके बाद प्रमोद पासी गिरोह का खात्मा हुआ। अब तक के सबसे बड़े एनकाउंटर में प्रमोद पासी समेत छह लोग मारे गए थे। उस एनकाउंटर में ढाई हजार राउंड से ज्यादा गोलियां चलीं थीं तो सामने से एक हजार से अधिक बम। एनकाउंटर सैकड़ों लोगों के सामने दिनदहाड़े हुआ था। आज भी उस घटना को याद लोगों की रूह कांप उठती हैं।
prayagraj news : एनकाउंटर।
– फोटो : prayagraj
ममफोर्डगंज पसियाना मुहल्ले का रहने वाला प्रमोद बचपन से ही दबंग प्रवृत्ति का था। 1989 में पुलिस ने उसके बहनोई बद्री पासी का एक बदमाश के धोखे में एनकाउंटर कर दिया था। इसी के बाद वह जरायम की दुनिया में उतर गया। बम बनाना तो उसके बाएं हाथ का खेल था। झोले में बम रखकर वह साइकिल से चलता था। धीरे-धीरे छोटे बड़े बदमाश उससे जुड़ते गए और जल्द ही वह सबसे बड़े बमबाजों में शुमार हो गया। बमबाज तो बहुत थे लेकिन दौड़ते हुए बम बांध लेने का वह एक्सपर्ट माना जाता था।
Crime Scene
1991 का मार्च महीना था। शराब की दुकानों के लिए ठेके हो रहे थे। प्रमोद झोले में बम लेकर आबकारी के गेट पर पहुंचा और एक ठेकेदार को चिट्ठी दी। महज दो लाइन का मजमून कुछ इस तरह था ‘मौत का दूसरा नाम प्रमोद पासी है। ठेका लेने से पहले वह पचास हजार रुपये दे दे’। उस जमाने में पचास हजार बहुत बड़ी रकम थी। ठेकेदार कांप गया। वह सीधा ममफोर्डगंज चौकी इंचार्ज वीएन सिंह के पास पहुंचा। अधिकारियों से बताया। तत्कालीन एसएसपी ने कहा ‘मुझे प्रमोद जिंदा या मुर्दा चाहिए’। पुलिस ने ममफोर्डगंज मुहल्ले में मुखबिरों का जाल बिछाया। 30 मार्च को पता चला वह मुहल्ले में बैठा है।
crime
– फोटो : demo pic
पुलिस घेरेबंदी कर रही थी कि प्रमोद और उसके साथियों ने बमों से हमला कर दिया। ताबड़तोड़ बम चलते देख पुलिस बैकफुट पर आ गई। पुलिस को पीछे हटता देख बदमाश मोहल्ले में कई घरों में फैल गए। गोलियों की तड़ताड़हट से मुहल्ला गूंजने लगा। पुलिस की तरफ से गोलियां चलें तो बदमाशों की ओर से बम। लग रहा था कि बम चलाने वाले भी दर्जनों हैं।
मोहल्ले के लोग ऊपर वाले का नाम लेकर कमरों में दुबक गए थे। पुलिस ने भी सबको अंदर रहने की हिदायत भी दी थी। एनकाउंटर की खबर फैलते ही ममफोर्डगंज के आसपास शहर के हजारों लोग जमा हो गए। गोली और बमों की आवाजों से दिल दहल रहे थे। सभी जानने को उत्सुक थे कि आखिर हुआ क्या। जब पुलिस की गोलियां प्रमोद और उसके साथियों का कुछ बिगाड़ नहीं पाईं तो फायर ब्रिगेड से सीढ़ियां मंगाई गईं। मुहल्ले में जितनी ऊंची बिल्डिंगें थीं, सभी पर पुलिस चढ़ गई और फायरिंग शुरू की। एक के बाद एक छह लाशें गिरीं। शाम को छह बजे जब प्रमोद मारा गया तो पुलिस ने राहत की सांस ली। एनकाउंटर को देखने के लिए कभी शायद ही इतनी भीड़ जुटी हो।
एनकाउंटर में मारे गए बदमाश
1-प्रमोद पासी-पुराना ममफोर्डगंज पसियाना
2-दस्सू-फतेहपुर बिछवा
3-रूपचंद्र-गल्ला बाजार
4-लालबाबू-नया पुरवा
5-रजऊ-नैनी
6-मोहनलाल-सोरांव
पुलिस अधिकारी
एसएसपी : आरएल भाटिया
एसपी सिटी : बीपी सिंह
इंस्पेक्टर : आरडी पाठक
चौकी इंचार्ज : वीएन सिंह
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