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कछुआ गंगा नदी की सफाई का वाहक है:भारत भूषण

-पर्यावरणविद् व अन्य लोगों ने कछुओं को प्राकृतिक भोजन भीगे चने खिलाये

 हापुड़।

 

विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर स्वर्गद्वारी पुष्पावती पूठ धाम में गंगा सभा एवं लोक भारती के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में कछुआ की उपयोगिता के विषय पर विस्तार से चर्चा की गई।                     साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने कछुआ के प्राकृतिक भोजन उन्हें सामूहिक रूप से भीगे चने खिलाए।

          कार्यक्रम में डाल्फिन गार्जियन भारत भूषण गर्ग ने बताया कि आज कछुआ के कारण से गंगा साफ दिखने लगी है इसका कारण है कि कछुए अधजले शवों,सड़े गले मांस एवं गंगा में डाले जाने वाले अपशिष्ट पदार्थ का भोजन के रूप में चयन कर उनको समाप्त कर देते हैं। जिसके कारण से धारा अविरल व निर्मल बनी रहती है               उन्होंने बताया की धारा के बीच में बहने वाले शवों को कछुआ के द्वारा किनारे पर खींचकर लाया जाता है कछुए मांसाहारी व शाकाहारी दोनों ही प्रकार के होते हैं। अपर गंगा रामसर साइट में सामान्यत: 16 प्रकार की प्रजातियों के कछुए पाए जाते हैं। यह एक दीर्घ जीवी प्राणी होता है,कुछ लोग इसका अवैध रूप से शिकार करके इसके मांस का सेवन करते हैं जो पूर्णतया गलत है                पर्यावरणविद् भारत भूषण गर्ग ने उपस्थित ग्राम वासियों को नदी के बीच से रेत खनन न करने का निवेदन करते हुए कहा कि आप लोग जो गंगा की धारा के बीच प्लेज लगाते हैं यदि आपको कहीं भी कछुए के अंडे दिखाई दें तो उनको कभी भी हाथ ना लगाये वरन तुरंत हमें सूचना दें,जिससे हम उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाकर उनसे बच्चे निकाल सके।

 भारत भूषण गर्ग ने बताया की अपर गंगा रामसर साइट में भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से हस्तिनापुर में कछुए के बच्चों को निकालने के लिए हैचरी स्थापित की गई है। जिसमें प्रत्येक वर्ष हजारों बच्चे तैयार होकर गंगा की धारा में प्रतिवर्ष छोड़े जा रहे हैं जिसका असर गढ़मुक्तेश्वर की गंगा में स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा है। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत किया जा रहा यह कार्य सही अर्थों में गंगा की स्वच्छता का एक बेहतर मापदंड है।  

   –    इस अवसर पर महेश केवट,सूबेदार जगदीश सिंह, कांति केवट,बृजेश कुमार,सुमित कुमार,सोनू लोधी,पिंटू कुमार,देवेंद्र शर्मा,पंडित अमरचंद शर्मा,कमल केवट, गौतम केवट दीपक,केवट यथार्थ भूषण आदि मौजूद रहे। 

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