ऊर्जा विभाग द्वारा 10 हजार के जुर्माने पर काटा गया डेढ़ लाख वसूली का नोटिस
हापुड़। बिजली चोरी में पकड़े जाने वाले उपभोक्ताओं को फर्जी नोटिस जारी कर, ऊर्जा निगम के अधिकारी जुर्माना से कई गुना अधिक अवैध वसूली कर रहे हैं। तीनों डिवीजन में यह खेल चल रहा है। गढ़ डिविजन में विजिलेंस की टीम द्वारा पोर्टल से इन नोटिसों का मिलान करने पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। वास्तविक राजस्व और नोटिस में जुर्माना राशि के बीच पांच से आठ गुना तक का अंतर मिला है। विजिलेंस द्वारा ऐसे ही कई नोटिस साक्ष्यों सहित पुलिस महानिदेशक (सतर्कता) को भेजे गए हैं। मामले की जांच की जा रही है, कर्मचारियों से लेकर कई उच्च अधिकारी भी इस घपले में शामिल हैं।
बिजली की चोरी पकड़े जाने पर समन शुल्क और राजस्व निर्धारण धनराशि उपभोक्ताओं से वसूली जाती है। कार्रवाई चाहे विजिलेंस करे या निगम की टीम, एफआईआर के बाद उपभोक्ता को प्रपत्र-4 भेजा जाता है, इस नोटिस के जरिए उपभोक्ता को जुर्माना राशि से अवगत कराना होता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए शासन से जुर्माना राशि को तत्काल पोर्टल पर अपलोड करने के आदेश हैं।
लेकिन डिवीजन कार्यालयों में इस पटल का कार्य देखने वाले कर्मचारी और अधिकारी प्रपत्र-4 में ही फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, गढ़ डिवीजन के करीब दस प्रपत्र सामने आए हैं, जिनमें राजस्व निर्धारण की धनराशि वास्तविक राशि से कई गुना अधिक दर्शायी गई है। इस घपलेबाजी का खुलासा तब हुआ जब इन नोटिसों का मिलान पोर्टल पर दर्ज राजस्व निर्धारण शुल्क से किया गया। अब मामला शासन तक पहुंच गया है, कर्मचारियों सहित कई अधिकारी भी रडार पर हैं।
इन प्रपत्र-4 में पकड़ी की घपलेबाजी
- लोधीपुर शोभन निवासी शरणजीत सिंह को 34445 रुपये का नोटिस भेजा गया, पोर्टल पर सिर्फ 8443 रुपये की एंट्री।
- रेलवे फाटक गढ़मुक्तेश्वर निवासी योगेंद्र त्यागी को 172800 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर राजस्व सिर्फ 23200 रुपये।
- रझैटी निवासी परवेज को 119197 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर राजस्व था 10839 रुपये।
- रझैटी निवासी सरियम को 72507 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर राजस्व था 6346 रुपये।
- रझैटी निवासी अरशद को 39781 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर राजस्व था 2143 रुपये।
- गढ़ निवासी नौशाद अली को 93439 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर राजस्व था सिर्फ 16671।
- विलहारा निवासी अनिल को 160265 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर राजस्व था 10190 रुपये।
- टोडलपुर निवासी मुन्ना चौधरी को 42662 का नोटिस भेजा, पोर्टल पर असल राशि थी सिर्फ 3157 रुपये।
प्रपत्र के बहाने होती थी सौदेबाजी
प्रपत्र-4 में वास्तविक धनराशि से कई गुना बढ़ाकर राशि भेजने का उद्देश्य सौदेबाजी करना है। नोटिस मिलती ही उपभोक्ता दौड़कर कार्यालय आते थे और अफसरों के सामने पैसा कम करने की गुहार लगाकर गिड़गिड़ाते थे, कार्यालय में ही सांठगांठ कर, नोटिस की आधी रकम में सौदा कर लिया जाता था। ऐसे में उपभोक्ता भी कम पैसों की रसीद मिलने पर कहीं शिकायत नहीं करता था, क्योंकि उसे पहले ही डरा कर भेजा जाता था।
मामला दबाने में जुटे अधिकारी
प्रपत्र-4 में घपलेबाजी का मामला खुलते ही अब तीनों डिवीजन में हड़कंप मच गया है। क्योंकि इसमें न सिर्फ पटल संबंधी लिपिक पर कार्रवाई बनती है, कई बड़े अधिकारी भी इसमें संलिप्त हैं। जिनके हस्ताक्षरों से इन प्रपत्रों को जारी किया जाता था। हालांकि बड़े अधिकारी छोटे कर्मचारियों के माथे ही ठीकरा फोड़ने के जुगाड़ में लग गए हैं।
मामला गंभीर, होगी सख्त कार्रवाई
प्रपत्र-4 में अनियमितता गंभीर मामला है, इसकी गहनता से जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा, तीनों डिवीजन कार्यालयों से जारी किए नोटिसों का सत्यापन कराएंगे। – यूके सिंह, अधीक्षण अभियंता।
6 Comments