आशाओं का कार्य चुनौतीपूर्ण-स्वास्थ्य विभाग
हापुड़। आशा वर्कर ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ बन गई है,जिन्होने समय-समय पर बड़े महत्वपूर्ण काम किये है जैसे -आशा को सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकार ने संस्थागत प्रसव बढावा देने हेतु मातृ मृत्यू को कम करनें के उद्देश्य से शुरु किया था आशा के सहयोग से संस्थागत प्रसव बडी मात्रा मे हुए । आशा के माध्यम से जननी सुरक्षा योजना भी सफल हुई आशा की यह भी बड़ी जिम्मेदारी है कि वे गर्भवती महिला को स्वास्थय केन्द्र तक ले जाये व वहाँ से जाने की अनुमति मिल जाने तक उनके साथ रहे इसके अलावा पैसों का समय पर भुगतान करना भी उन्ही की जिम्मेदारी है।
यह तो थोडा सा उनकी काम की भूमिका थी और अगर उनके सहयोग से सरकार को जो देश हित में मदद मिली वह कुछ देखे तो इस तरह है
भारत में मातृ मृत्यू दर बहुत अधिक थी हर साल एक लाख महिलाऐ बच्चा पैदा करते समय दम तोड देती थी
आशा की भूमिका आने पर मातृ मृत्यू कम हुई हैं संस्थागत प्रसव की संख्या बढ़ी है शिशु मृत्यु भी पहले से घटी हैं और आशा का काम काफी चुनौती पूर्ण भी है अक्सर उनको रात में घर से बाहर जाना पडता है इस तरह इनकी भूमिका को देखते हुये ,इस समय उन्हें प्रसाशन की ओर से कोरोना अपडेट की सर्वे जैसे काम के लिए आशा वर्कर घर–घर घुम रही है और स्वास्थ्य के बारे मे जानकारी ले रही है। उन्हे कोरोना से पीड़ित परिवारों मे भी जाना पड़ता है और उनके पास सम्पूर्ण स्वास्थ्य किट नही है ,जिसकी वजह से वो संक्रमित हो सकती है और उनसे हम भी बीमार हो सकते है।
ऐसे समय मे एक्शन इंडिया/सबला समिति ने तय किया है कि हम 21गाँव मे 65 आशा वर्कर और संगिनी को सुरक्षा किट वितरण करेगें। गांव-खड़खडी में ग्राम प्रधान -रोहित कुमार की उपस्थिति में सबला समिति सदस्य- सुशील, लक्ष्मी, भागीरथी, मूर्ति और रीना ने आशाओं को सेफ्टी किट वितरित की। सभी ग्राम प्रधानो ने और गांव के लोगों ने इस कार्य की सहारना की। इसी के साथ-साथ एक्शन इंडिया /सबला समिति के सदस्य ASHA वर्कर को सुरक्षा किट शासन की तरफ से अन्य गाँव मे भी उपलब्ध करने की मांग को रखते हुए हस्ताक्षर अभियान भी चलायेंगे।
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