हापुड़।
35 देशों में कार्यरत विश्व की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य भारती जनपद हापुड़ द्वारा स्वर्ग आश्रम रोड स्थित टैगोर पब्लिक इंटर कॉलेज में वरिष्ठ कवि अशोक प्रयासी के सौजन्य से काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया!जिसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष प्रो. वागीश दिनकर ने की!सानिध्य वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डा. अशोक मैत्रेय जी का रहा और संचालन वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार जिलाध्यक्ष दिनेश त्यागी द्वारा किया गया!सरस्वती वंदना वरिष्ठ कवि विजय वत्स द्वारा पढ़ी गई!इस अवसर पर सफल एवं युवा उद्यमी श्री तेजेंद्र शर्मा को प्रदेश अध्यक्षप्रो. वागीश दिनकर द्वारा हिन्दी साहित्य भारती जनपद हापुड़ का संरक्षक नियुक्त किया गया! अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार प्रो.वागीश दिनकर ने पढ़ा –हे गोपाल तुम्हारी गऊएं तुम्हें पुकार रही हैं!वंशवाद की पीड़ा से सिर दे दे मार रहीं हैँ!!वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डा. अशोक मैत्रेय जी ने पढ़ा –थाह न जिसकी पा सके, स्मृति वेद पुरान!बात वही समझा गई, बच्चे की मुस्कान!!वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार दिनेश त्यागी ने पढ़ा –व्याकुल धरा पुकारती, लो फिर से अवतार, अंत करो आतंक का, जग के पालनहार!!वरिष्ठ कवि श्री अशोक प्रयासी जी ने पढ़ा –सत राम नाम की ये नौका, ले जाए तुझको सत लोका!वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार अशोक गोयल ने पढ़ा –पीर लिखो मीरा जैसी, मिलन लिखो राधा सा!दोनों ही कुछ पूरे से, दोनों ही कुछ आधा सा!!वरिष्ठ कवि विजय वत्स ने पढ़ा -हंसती गाती मिसाल बन जाओ, रंजो जुल्मत का काल बन जाओ!वरिष्ठ कवि रामबीर आकाश ने पढ़ा -तुम्हारे नैन के द्वारे, मेरे कुछ ख़त भी रखे हैं!बेखौफ़ शायर डा. नरेश सागर ने पढ़ा -मुद्दतें हो गईं, खुद से लड़ते लड़ते!टूटा तो बहुत हूं मैं, बिखरा नहीं हूँ मैं!!वरिष्ठ कवि गंगाशरण शर्मा ने पढ़ा –इस बस्ते में छुपी हुई है, दुनिया की दौलत सारी!इसमें लग्न लगाएं मिलके, होंगी नित्य चमत्कारी!!वरिष्ठ कवि पुष्पेंद्र पंकज ने पढ़ा –सुंदर सुगन्धित जल से मैं कृष्ण नहा रहा हूं!कुछ पल की है प्रतीक्षा शुभ लाभ ला रहा हूं!वरिष्ठ कवि डा. ओमपाल विकट ने पढ़ा -हम हैं धरती के मेहमान मुझको ऐसा लगता है!इक दिन जाएगी सबकी जान, मुझको ऐसा लगता है!!गाजियाबाद से पधारे कवि संदीप सुकुमार ने पढ़ा –आपकी याद से उलझ बैठा, दिल तो लगता नहीं लगाने से!वरिष्ठ कवि प्रभात कुमार ने पढ़ा -आज देवकी नंदन प्रकट भए!भक्तों के तारणहार प्रकट भए!युवा कवि दिव्यांश दिव्य ने पढ़ा –जबसे मिला हूं तुमसे फटेहाल हो गया, इस तरह मैं प्यार में तेरे बदहाल हो गया!कवि तरुण त्यागी ने पढ़ा -बोतल लेने वालों ने बँगले बना लिए, बोतल खाली करने वालों ने जमीने बेच दी!कवि जयकरण सिंह ने पढ़ा –अभी तो रस्ता नया नया है, अभी न ज्यादा उम्मीद रखना!अभी प्रशिक्षु हूं इस विधा का, अभी न मुझको कवि समझना!युवा कवि अनुराग वत्स ने पढ़ा –मैं भूखे गिदधों को ही सारस समझ बैठा, कंकड़ पत्थर को भी मैं पारस समझ बैठा!युवा कवि अंकित गौतम ने पढ़ा –मैं हरियाली धरती और प्रसन्न किसान हूं!जो सब कुछ दान करके भी मुस्काये मैं वही हिंदुस्तान हूं!