विवादों में रहे हापुड़ के पूर्व अपर जिलाधिकारी को शासन ने किया बर्खास्त
हापुड़/लखनऊ (अमित मुन्ना/अनूप सिन्हा)।
हापुड़ जनपद में अपर जिलाधिकारी रहे वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी हरीशचंद्र को शासन ने बर्खास्त कर दिया। जिससे अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ हैं। उन्हें सचिव नोएडा विकास प्राधिकरण के पद पर तैनाती के दौरान प्राधिकरण की अर्जित एवं कता प्राप्त भूमि को नियम विरुद्ध तरीके से लौज बैंक करने का दोषी पाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उक्त प्रकरण में दोषी पाए जाने के बाद बखास्त करने के साथ वित्तीय क्षति की वसूली के भी आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस बात को जानकारी ट्वीट के माध्यम से जारी की गई। अगस्त 2018 में नोएडा में रिटायर्ड एसोसिएशन ने मुख्य सचिव से पीसीएस अधिकारी व मुजफ्फरनगर के निलंबित एडीएम हरिश्चंद्र व रिटायर्ड कर्नल वीरेंद्र सिंह चौहान से जुड़े की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराने की मांग की थी।
संघ ने गौतमबुद्धनगर के डीएम व एसएसपी पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह व महासचिव पवन गंगवार ने मुख्य सचिव रहे डॉ. अनूप चंद्र पाण्डेय को ज्ञापन भेजा था। इसकी प्रति प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव गृह को भी भेजा था।
सचिव नोएडा प्राधिकरण के कर्नल और पीसीएस अधिकारी हरिश्चंद्र पद पर रहते के बीच एक विवाद के बाद उन्हें निलंबित अनियमितता कर दिया गया था।
पहलें भी विवादों में रहे हरीशचंद्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेस नीति पर काम करते हुए एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। 2008 में नोएडा प्राधिकरण में तैनात रहे प्रशासनिक अधिकारी को बर्खास्त कर दिया गया है। प्राधिकरण में तैनाती के दौरान तत्कालीन सचिव हरीश चंद्रा पर लीजवंक घोटाला करने का आरोप लगा था। सूत्रों के मुताबिक यह घोटाला करीब 3800 करोड़ रुपए के आसपास का था। जिसकी जांच रिपोर्ट मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने शासन को प्रेषित की थी। इसके अलावा अगस्त 2018 में भी रिटायर्ड कर्नल के साथ हुए विवाद में भी तत्कालीन सचिव ने सुर्खियां बटोरी थी। उस दौरान वह मुजफ्फरनगर में बतौर एडीएम पद पर तैनात रहे।
दरअसल, प्राधिकरण में लोज बैंक करने के नाम पर 2011 में हुए घोटाले में तीन लाख 81 हजार वर्गमीटर से अधिक जमीन नियमों को दरकिनार कर बाहरी लोगों समेत तीन निजी कंपनियों के नाम कर दी गई। अंतरविभागीय जांच में खुलासा हुआ था कि गांव के गैर निवासी व निजी कंपनियों को 175 वार्गमीटर से 15340 वर्गमीटर के भूखंडों की लीज बैंक की गई एक्सप्रेस-वे पर शतदरा गांव के पास स्थित इस जमीन की कीमत बाजार दर के हिसाब से 3500 करोड़ आंकी गई थी। लीज बैंक के नियमों का उल्लंघन कर जमीन देने के मामले में उस दौरान प्राधिकरण के नायब तहसीलदार मनोज कुमार को तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया है। वहीं घोटाले को अंजाम देने के आरोप में तत्कालीन प्राधिकरण सचिव हरीश चंद और तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी (लैड) अजय श्रीवास्तव को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई करने को संस्तुति की गई थी।
रिटायर्ड कर्नल को जेल भिजवाने के बाद मी हुआ था निलंबन अगस्त 2018 में रियर्ड कर्नल को फर्जी मामले में जेल भिजाना मुजफ्फरनगर के एएम हरीश चंद्रको भारी पड़ गया था। मामले में संज्ञान लेते हुए शासन ने एडीएम को निलंबित कर दिया था। इनके द्वारा किए गए सेक्टर-29 स्थित घर में अवैध निर्माण को भी जाया गया था। एडीएम हरीश चंद नोएडा के सेक्टर-29 में पहली मंजिल पर रहते थे भूतल पर रिटायर्ड कर्नल बीएस चौहान रहते थे। एडीएम अपने घर पर अवैध निर्माण करा रहे थे। इसे लेकर दोनों के बीच विवाद चल रहा था। 14 अगस्त को कर्नल के पार्क में टहलते वक्त एडीएम को पत्नी ने उन्हें गुंडा कह दिया था कल ने विरोष जताया तो दोनों पक्षों में मारपीट हो गई। आरोप लगा था कि एडीएम ने 14 अगस्त को कुर्सी के जनक में थाना सेक्टर 20 में कर्नल के खिलाफ पत्नी से छेड़छाड़ व एससीएसटी एक्ट के तहत न केवल कैस दर्ज कराया बल्कि पुलिस पर दबाव बनाकर उन्हें हथकड़ी लगवाकर जेल भिजवा दिया था। कर्नल को तीन दिन पहले कोर्ट से जमानत मिल गई थी।
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