दिल्ली ,(सौरभ शर्मा)।
होली से पहले पुर्वोत्तर के तीन राज्यो में भाजपा को मिले जनसमर्थन ने भाजपा का हिंदी पट्टी की पार्टी माने जाने शिगूफे को पूरी तरह से लगभग ध्वस्त कर दिया और भाजपाई शीर्ष नेतृत्व और कार्यकर्ताओं को केसरिया रंग में होली खेलने का मौका भी दिया है। सामरिक दृष्टि से ये तीन राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड बेशक इतने महत्वपूर्ण न हो लेकिन जिस प्रकार विपक्ष देश के प्रधानमंत्री के विरुद्ध नित नए आरोपों के गुब्बारे उड़ाते दिखते थे उनकी हवा जरूर निकलती दिखी और 2024 के महासमर से पहले ये भाजपाई खेमे के लिए ऑक्सीजन का काम भी करेगी, हेमंत विश्व शर्मा ने स्वयं को बखूबी साबित भी किया है और स्थापित भी क्योंकि ये जनादेश उनकी संगठन शिल्पकारिता का बेजोड़ नमूना है और यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता हैं कि महज कुछ बरस पहले वो कांग्रेसी शीर्ष नेतृत्व के आगे अपनी पहचान के संघर्ष की कहानी सरेआम सुना चुके हैं। आज के दौर में लोकपाल आंदोलन की यज्ञशाला से जन्मी और भ्रष्टाचार के उन्मूलन के विमान पर सवार केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के दो कद्दावर मंत्रियों का जेल जाना और वो भी भ्रष्टाचार के आरोपो में, यह भी विपक्षी धार को कुंद करने में कुछ भूमिका जरूर निभाएगा क्योंकि जिन साक्ष्यों के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायालय में दिल्ली की आप सरकार के मंत्रियों के विरुद्ध मामला पेश किया है उसे एक पंक्ति में नकारना कपोल कल्पित कल्पना की तरह लग रहा हैं और इस जांच की आंच पंजाब सरकार तक भी जाती दिख रही हैं क्योंकि वहाँ भी बनाई गई शराब नीति की सूत्रधार लॉबी एक ही है।उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भी बेलगाम अफसरशाही और कानून व्यवस्था को बेशक विपक्ष मुद्दा बनाये लेकिन उनके अपने कार्यकाल मे प्रदेश की कानून व्यवस्था का हाल किसी से छिपा नही है। मोदी जी निश्चय ही जनसेवा का संकल्प लिए अपने कार्यकर्ताओं के उत्साहवर्धन के साथ नैतिकता की सीख देने से नही चूकते।
“बड़ी हसरत से आयी, सर पटक पटक कर गुजर गई मेरे शहर से आंधी,
वो पेड़ अब भी मुस्कुरा रहे हैं जिन्हें हुनर था झुक जाने का।”
जितेश भारद्वाज अधिवक्ता और समाजसेवी