बुखार कैसा भी हो, पूरी सतर्कता जरूरी : सीएम ओ, पॉजिटिव आने पर परिजन सुरक्षित दूरी पर रहें, लेकिन भावनात्मक सपोर्ट देते रहें
हापुड़(अमित अग्रवाल मुन्ना)।
बुखार कैसा भी हो, पूरी सतर्कता जरूरी है। बुखार आने के साथ ही कोरोना की जांच कराएं। उससे भी पहले जैसे ही आपको शरीर में दर्द, जुकाम, खांसी या फिर बुखार के लक्षण महसूस हों, सबसे पहले खुद को आइसोलेट कर लें। आपका यह कदम आपके करीबियों को संक्रमण से बचाने में मदद करेगा। आइसोलेशन का यह मतलब भी नहीं है कि परिजन मरीज की सुध ही न लें। ऐसा करना, कई बार मनोबल तोड़ने का कारण बन सकता है और मनोबल टूटने पर कोई बीमारी अपना वेग बढा देती हैं। मरीज से एक सुरक्षित दूरी पर रहकर मिलें। पास जाने पर मॉस्क अवश्य लगाएं। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रेखा शर्मा ने कहीं।
सीएमओ डा. रेखा शर्मा ने कहा कि कोरोना टेस्ट कराने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर बिल्कुल न घबराएं। कोविड-19 के केवल पांच फीसदी तक ही ऐसे मामले होते हैं जो गंभीर श्रेणी के होते हैं। कितने ही लोगों को तो इस बात का आभास तक नहीं होता कि वह कब पॉजिटिव हो गए और समय के साथ निगेटिव भी हो गए। अधिकतर मामलों में हल्का बुखार और जुकाम-खांसी होती है। इसलिए रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पैनिक न हों। चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लें। चिकित्सक के संपर्क में रहें। घर में बाकी परिजनों से थोड़ी दूरी बनाकर रखें और मन व मस्तिष्क को शांत रखते हुए आराम करें। शरीर में ऑक्सीजन का लेबल कम होने का शक हो तो छह-सात मिनट तेज वॉक करके देखें। यदि ऐसा करने से परेशानी बढ़ती है तो ऑक्सीमीटर की व्यवस्था करें।
शरीर में यूं तो ऑक्सीजन का सेच्यूरेशन 100 फीसदी होना चाहिए लेकिन यह 94 से लेकर 98 के बीच रहना भी अच्छा माना जाता है। 94 से कम होने पर मॉनीटरिंग की जरूरत होती है, यानी आपको लगातार चिकित्सक के संपर्क में रहना चाहिए। बेहतर ऑक्सीजन लेबल के लिए आप उल्टे लेट (प्रोनिंग पॉजीशन) लेट सकते हैं। कई बार नाक बंद होने से भी शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, ऐसे में भाप लें। ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सक की सलाह पर नेबुलाइज भी कर सकते हैं। निगेटिव खबरों से अपने आपको अलग रखने का प्रयास करें। कोरोना पॉजिटिव होने पर बेशक शरीर को आराम की जरूरत होती है, लेकिन श्वसन से जुड़े व्यायाम जारी रखना बेहतर बताया गया है। डीप ब्रीदिंग शरीर को मिलने में ऑक्सीजन में बढ़ोतरी करती है और फेफड़ों की सक्रियता बनी रहती है।
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