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कनेक्शन में फर्जीवाड़े पर एसडीओ और अवर अभियंता निलंबित

हापुड़। दिल्ली रोड बिजलीघर से जुड़े फ्रीगंज रोड पर एक कॉम्प्लेक्स को कनेक्शन देने में फर्जीवाड़े पर एसडीओ और जेई को निलंबित किया गया है। मेरठ से आए एसई की जांच में दोनों अधिकारी दोषी पाए गए। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी के आदेश पर कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई से निगम के कई और अधिकारी भी रडार पर आ गए हैं, जिनकी शिकायतें शासन तक पहुंची हैं।

जानकारी के अनुसार फ्रीगंज रोड पर एक उपभोक्ता कपिल गेरा ने 9 किलोवाट के कनेक्शन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। इस पर दिल्ली रोड बिजलीघर के अवर अभियंता ने ट्रांसफार्मर को ओवर लोड बताकर एस्टीमेट बना दिया। एस्टीमेट दो लाख से अधिक राशि का था, इस पर उपभोक्ता ने पैसे जमा नहीं किए, जिसके कारण आवेदन निरस्त हो गया।

मजे की बात यह है कि कार्यालय में संपर्क करने पर उपभोक्ता को दो भिन्न-भिन्न क्षमता के कनेक्शन लेने का सुझाव दिया गया। इसके उपरांत उपभोक्ता ने झटपट पोर्टल पर छह और आठ किलोवाट क्षमता के कनेक्शन के लिए आवेदन कर दिया। तत्काल ही अधिकारियों के संरक्षण पर लाइनमैन, जेई ने भी रिपोर्ट लगा दी। लेकिन इस बार कनेक्शन कॉम्प्लेक्स के सामने से नहीं बल्कि पीछे रखे ट्रांसफार्मर से दिए गए। दोनों ही कनेक्शन सामान्य रसीदों पर थे, इसका कोई एस्टीमेट नहीं बना था।

बड़ा सवाल यह है कि जब पहले सर्वे के दौरान ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने उपभोक्ता पर दो लाख रुपये एस्टीमेट के रूप में जमा करने का दबाव बनाया तो दूसरी बार में उसे सामान्य रसीदों पर कनेक्शन कैसे दे दिया गया। इस मामले की शिकायत यूपीपीसीएल के चेयरमैन एम.देवराज से की गई, जिनके आदेश पर मेरठ से आए अधिशासी अभियंता ने हापुड़ आकर पूरे प्रकरण की जांच की।

जांच रिपोर्ट में एसडीओ और अवर अभियंता दोषी पाए गए। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बता दें कि इस तरह के अन्य कई मामले और भी हैं, जिनकी जांच चल रही है कई अन्य अधिकारियों पर भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

इन मामलों में हो सकती है कार्रवाई

ऊर्जा निगम के हापुड़ में तैनात अधीक्षण अभियंता ने कई अवर अभियंताओं के स्थानांतरण के आदेश उसी दिन या दो से तीन दिन के अंदर निरस्त कर दिए थे। इस मामले में शिकायत पर उच्चस्तरीय टीम जांच के लिए आई थी। लेकिन पूरे साक्ष्य होने के बावजूद इस मामले में कार्रवाई नहीं हो सकी है।

उबारपुर बिजलीघर की लाइन को बिना एस्टीमेट शिफ्ट कर दिया गया था, इस मामले में अवर अभियंता को अधिकारियों ने बचा लिया, सिर्फ स्थानांतरण किया गया। उच्चाधिकारियों तक रिपोर्ट नहीं भेजी गई। साथ ही जरौठी रोड पर अवैध कॉलोनी में बनाई गई लाइन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

निगम में भ्रष्टाचार से लिप्त कुछ प्रमुख बिंदु

  • मोदीनगर रोड पर विजिलेंस ने एक होटल पर छापा मारा, करीब 25 लाख की चोरी पकड़ी गई थी। लेकिन अधिकारियों ने महज 80 हजार में इसे रफा दफा कर दिया। मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है।
  • बाबूगढ़ स्थित एमईएस से एस्टीमेट के जरिए करीब 22 लाख रुपये ज्यादा जमा करा लिए गए, अब यह पैसा बिलों में समायोजित किया जा रहा है। इस मामले की शिकायत शासन में की गई है।
  • बुलंदशहर रोड स्थित एक कॉलोनी में एस्टीमेट से उलट 11केवीए लाइन को लोहे के खंभे के स्थान पर सिमेंट के खंभे पर खींचा गया। ठेकेदार का भुगतान भी निगम ने कर दिया है।
  • ऊर्जा निगम में दो दशक पहले नलकूप बिल घोटाला हुआ था, इस घपले का खुलासा आज तक नहीं हुआ है। किसानों के बिलों में करोड़ों की बकायेदारी जोड़ दी गई है।

कनेक्शन देने में अनियमितता पर हापुड़ डिवीजन के एसडीओ और जेई को निलंबित किया गया है। जांच में दोनों दोषी पाए गए थे। गलत कार्य करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। – अरविंद मलप्पा बंगारी, एमडी पीवीवीएनएल।

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