“एक शाम देश के नाम” ऑनलाइन कवि सम्मेलन आयोजित ,गणतंत्र के महायज्ञ में, इक संकल्प उठाएं हम,भारत की माटी में फिर से,चंदन खुशबू लाएं हम”-अनिल वाजपेयी

हापुड़़।

हिंदी प्रोत्साहन समिति के तत्वावधान में यहां ऑन लाइन “एक शाम देश के नाम” कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता हिंदी प्रोत्साहन समिति के प्रदेश अध्यक्ष डा. अनिल बाजपेई ने की मंच संचालन गरिमा आर्य ने किया।
डा. आराधना बाजपेई ने पढ़ा,गणतंत्र के महायज्ञ में, इक संकल्प उठाएं हम,भारत की माटी में फिर से,चंदन खुशबू लाएं हम” संचालन करते हुए गरिमा आर्य ने पढ़ा,”वतन की आन पर मर जायेंगे
देश का ऊंचा नाम कर जाएंगे
आंख उठी वतन पर गर कोई टेढ़ी
उसे जमींदोज़ सदा को कर जाएंगे”
अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध कवि डा. अनिल बाजपेई ने पढ़ा,”दिग दिगंत में गूंजता,मंगल और प्रकर्ष, सदा विश्व सिरमौर हो,मेरा भारतवर्ष ” डा. मनजीत सिंह अवतार ने पढ़ा,”राग द्वेष लोभ मोह भावना को त्यागकर,
राष्ट्र एकता का उद् घोष होना चाहिए,,
देश मांगता है आज झुकने की राह नही,
देश को सुभाष चन्द्र बोस होना चाहिए डा. पुष्पा गर्ग ने पढ़ा, राजनीति की उठापटक में, नेता गिरे धड़ाम ।
सब भाग्य को कोस रहे, हिंदू हो या मुसलमान।।आराधना पचौरी ने पढ़ा,”शीश चढा दे वीर सपूत जो, राष्ट्र रक्षा के अब प्रहरी कौन ?
स्वतंत्र देश में नागरिक कर्तव्य पर, आज युवा क्यूं खड़ा है मौन?
डा. मीनू शर्मा ने पढ़ा,सुंदरता मैं कम नहीं यह मेरा हिंदुस्तान
अद्भुत है ,कितना सुंदर है यह मेरा हिंदुस्तान ,
बस्ते इसमें हम सब के प्राण, यह अनुपम मेरा भारत वतन महान!
मुक्ता शर्मा ने पढ़ा,”हां, यह देश गुलजार है, हवा में इसके प्यार है छोटे बड़े सब अपने हैं, खुली आंखों में भी सपने हैं। हर परिंदा आजाद है, सभी भाषाओं का अनुवाद है,!
डा मीनू वर्मा ने पढ़ा,”देश प्रेम के गीत ये,लगते जैसे मंत्र,आओ गाएं झूम लें,आया है गणतंत्र!

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