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अलीगढ़ के महुआखेड़ा विद्यालय की शिक्षिका ने पढ़ाने का ढूँढा अनोखा तरीका, पेश की मिसाल

शिक्षिका चैताली वार्ष्णेय ने क्रियान्वित किए गणित पढ़ाने के अनोखे नवाचार

निपुण भारत मिशन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा किये जा रहे विशेष प्रयासों से न सिर्फ सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प हुआ है, बल्कि विभाग द्वारा किये गये विशेष नवाचार पूरे देश के लिए नजीर बन रहे हैं। कुछ ऐसी ही अनोखी पहल है प्राथमिक विद्यालय महुआखेड़ा, अलीगढ़ की। इन दिनों मॉडल प्राथमिक विद्यालय महुुआखेड़ा, अलीगढ़ चर्चा के केन्द्र में है। यहाँ सरल तरीके से शिक्षा प्रदान की जा रही है। यही कारण है कि गणित जैसे विषय में भी छात्रों की रूचि बढ़ रही है। पढ़ाने के तरीके में सार्थक बदलाव के तौर पर व्यावहारिक ज्ञान को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे विद्यार्थी किताबी ज्ञान के साथ गणित की मौलिकता से परिचित हो रहे हैं।

शिक्षा की क्या शैली होनी चाहिए, यह चर्चा का विषय रहा है। छात्रों तक ज्ञान की अविरल धारा पहुंचे और उनमें रूचि बनी रहे, इसलिए जरूरी है कि शिक्षा को सरल बनाया जाए। कुछ प्रयोग करके शिक्षा की प्रणाली को अलग स्तर पर पहुंचाया जा सकता है। मॉडल प्राथमिक विद्यालय महुआखेड़ा, अलीगढ़ की शिक्षिका चैताली वार्ष्णेय कठिन विषयों को सरल बनाने के लिए विशेष नवाचार कर रही हैं, ताकि प्रत्येक बच्चा निपुण बन सके।

प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को जोड़, घटाना, गुणा और भाग समझाने के लिए शिक्षक कई तरीके अपनाते हैं। जैसे मिट्टी की गोलियां, लकड़ी के छोटे टुकड़े, पुस्तकों में बने चित्र और ब्लैक बोर्ड पर उकेरी गयी आड़ी-तिरछी लाइनें उनकी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा होते हैं, लेकिन शिक्षिका चैताली वार्ष्णेय का तरीका बिल्कुल अलग है। वह शिक्षा को व्यावहारिक स्तर पर लेकर आई है। यही कारण है कि वे गणित का ज्ञान कराने के लिए विद्यालय में ही बाजार लगवा देती हैं। इससे बच्चे भाग और लाभ-हानि को आसानी से सीख जाते हैं।

व्यावहारिक ज्ञान का लाभ उन्हें मिलता है और वे इन बातों को कभी भी नहीं भूलते हैं। चैताली वार्ष्णेय कहती हैं कि शिक्षा में नवाचार जरूरी है। इससे बच्चों का पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़ जाता है। वह कहती हैं कि बच्चों के लिए ऐसी शिक्षा पद्धति अपनाने की जरूरत है, जिससे कि कठिन से कठिन चीजों को सरल तरीके से समझाया जा सके।

गणित सिखाने का नायाब तरीका

शिक्षा में नवाचार का तरीका कुछ ऐसा है कि उन्हें शिक्षा के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी मिलता है। पढ़ाने के क्रम में विद्यालय में लगे बाजार में बच्चे ही दुकानदार और खरीददार के रूप में होते हैं। इस बाजार में बच्चेे अपने सहपाठियों को पेटीज, बिस्किट, टॉफी, पेन्सिल, रबर, गुब्बारे, बर्गर, फ्रूटी, खुद के बनाये कला-शिल्प बेचते हैं। बच्चों को खरीदने के लिए 5 रुपये से लेकर 100 रुपये तक के खेल वाले नोट दिए जाते हैं। बच्चे अपने रुपयों से बेचे गये सामान की कीमत, सामान की बिक्री के लिए कितने का नोट दिया गया, कितना वापस मिला का हिसाब-किताब खुद करते हैं। इससे उनकी जोड़-घटाना, गुणा-भाग की समझ मजबूत हो जाती है।

शिक्षिका चैताली वार्ष्णेय बताती है कि बाजार वाले मॉडल से गणित पढ़ाने में काफी सहायता मिलती है। कक्षा 5 के छात्रों को लाभ-हानि सिखाने के लिए उन्हें गुब्बारे बेचने का काम दिया जाता है। जैसे बच्चे 30 रुपये के 10 गुब्बारे लेते हैं उनमें से चार गुब्बारे फुलाते समय फूट जाते हैं। ऐसे में बच्चे खुद ही निर्धारित करते हैं कि उनके गुब्बारों की कीमत अब क्या होगी। उनका ध्यान इस बात पर भी रहता है कि उनके गुब्बारे बिक जाएं और उन्हें मूल लागत 20 रुपये के साथ कुछ अतिरिक्त लाभी भी मिल जाए।

शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देना आज के समय की मांग है। आज के दौर में ऐसी शिक्षा का बोलबाला है, जिसके माध्यम से बच्चों का करियर बने और मैनेजमेंट सहित दूसरे प्रोफेशनल कोर्सेज में इन बातों को अहमियत दी जा रही है। ऐसे में मॉडल प्राथमिक विद्यालय महुआखेड़ा, अलीगढ़ की शिक्षिका चैताली वार्ष्णेय की यह पहल सराहनीय है। वे छोटी क्लासेज में नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं। अब दूसरे विद्यालयों द्वारा भी उनके इस प्रयोग को अपनाया जा रहा है। उनके नवाचार से प्रभावित होकर विद्यालय में छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2019 में विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या मात्र 50 थी। अब यहां पर छात्रों की संख्या बढ़कर 203 हो गयी है।

इस नवाचार से दूसरे विद्यालय भी प्रेरित हो रहे हैं और छात्र-छात्राओं को गणित सिखाने के इस नवाचार को अपना रहे हैं।

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